तेरी सूरत निगाहों में फिरती रहे

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तेरी सूरत निगाहों में फिरती रहे इश्क़ तेरा सताए तो मैं क्या करूँ ? कोई इतना तो आ

नाज़ उसके उठाता हूँ रुलाता भी मुझे है

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नाज़ उसके उठाता हूँ रुलाता भी मुझे है ज़ुल्फो में सुलाता भी, जगाता भी मुझे है, आता है

लोग सह लेते थे हँस कर कभी बेज़ारी भी…

log-sah-lete-the

लोग सह लेते थे हँस कर कभी बेज़ारी भी अब तो मश्कूक हुई अपनी मिलन सारी भी, वार

कुछ क़दम और मुझे जिस्म को ढोना है यहाँ

kuch-qadam-aur-mujhe

कुछ क़दम और मुझे जिस्म को ढोना है यहाँ साथ लाया हूँ उसी को जिसे खोना है यहाँ,

शाम आई तिरी यादों के सितारे निकले…

शाम आई तिरी यादों

शाम आई तिरी यादों के सितारे निकलेरंग ही ग़म के नहीं नक़्श भी प्यारे निकले, एक मौहूम तमन्ना

ताज़ा मोहब्बतों का नशा जिस्म ओ जाँ में है

taza-mohabbato-ka-nasha

ताज़ा मोहब्बतों का नशा जिस्म ओ जाँ में है फिर मौसम ए बहार मिरे गुल्सिताँ में है, इक

आंधियाँ भी चले और दीया भी जले…

charag apni thakan ki koi safai n de

आंधियाँ भी चले और दीया भी जले होगा कैसे भला आसमां के तले ? अब भरोसा करे भी

ज़मी सूखी है और पानी के भी लाले है…

zamin sukhi hai pani ke bhi lale hai

ज़मी सूखी है और पानी के भी लाले है इन्सान ही आज इन्सान के निवाले है जिनके दिलो

हैरतों के सिलसिले सोज़ ए निहाँ तक आ गए..

हैरतों के सिलसिले सोज़

हैरतों के सिलसिले सोज़ ए निहाँ तक आ गए हम नज़र तक चाहते थे तुम तो जाँ तक

मैं तकिए पर सितारे बो रहा हूँ

main-takiye-par-sitare

मैं तकिए पर सितारे बो रहा हूँ जन्म दिन है अकेला रो रहा हूँ, किसी ने झाँक कर