वो अहद अहद ही क्या है जिसे निभाओ भी

wo ahad ahad hi kya hai

वो अहद अहद ही क्या है जिसे निभाओ भी हमारे वादा ए उलफ़त को भूल जाओ भी भला

क़िस्सा अभी हिजाब से आगे नहीं बढ़ा

qissa abhi hijab se aage nahi badha

क़िस्सा अभी हिजाब से आगे नहीं बढ़ा मैं आप, वो जनाब से आगे नहीं बढ़ा, मुद्दत हुई किताब

हम तुम्हारे ग़म से बाहर आ गए

hum tumhare gam se bahar

हम तुम्हारे ग़म से बाहर आ गए हिज्र से बचने के मंतर आ गए, मैं ने तुम को

जब किसी एक को रिहा किया जाए

jab kisi ek ko riha kiya jaaye

जब किसी एक को रिहा किया जाए सब असीरों से मशवरा किया जाए, रह लिया जाए अपने होने

जाने वाले से राब्ता रह जाए

jaane waale se raabta rah jaaye

जाने वाले से राब्ता रह जाए घर की दीवार पर दिया रह जाए, एक नज़र जो भी देख

अश्क ज़ाएअ हो रहे थे देख कर रोता न था

ashk zaya ho rahe the

अश्क ज़ाएअ हो रहे थे देख कर रोता न था जिस जगह बनता था रोना मैं उधर रोता

तारीकियों को आग लगे और दिया जले

tarikiyon ko aag lage aur

तारीकियों को आग लगे और दिया जले ये रात बैन करती रहे और दिया जले, उसकी ज़बाँ में

फिर रफ़ूगर ने भी ये कह के मुझे मोड़ दिया

fir rafoogar ne bhi ye kah ke

फिर रफ़ूगर ने भी ये कह के मुझे मोड़ दिया जा यहाँ पर तो कोई ज़ख़्म नहीं सिलते

किसी से ख़ुश है किसी से ख़फ़ा ख़फ़ा सा है

kisi se khush hai kisi se khafa

किसी से ख़ुश है किसी से ख़फ़ा ख़फ़ा सा है वो शहर में अभी शायद नया नया सा

जहाँ न तेरी महक हो उधर न जाऊँ मैं

jahan na teri mahak ho udhar na

जहाँ न तेरी महक हो उधर न जाऊँ मैं मेरी सरिश्त सफ़र है गुज़र न जाऊँ मैं, मेरे