कच्चे बख़िये की तरह रिश्ते उधड़ जाते हैं

kachche bakhiye ki tarah rishte

कच्चे बख़िये की तरह रिश्ते उधड़ जाते हैं लोग मिलते हैं मगर मिल के बिछड़ जाते हैं, यूँ

कोशिश के बावजूद ये इल्ज़ाम रह गया

koshish ke bavjood ye

कोशिश के बावजूद ये इल्ज़ाम रह गया हर काम में हमेशा कोई काम रह गया, छोटी थी उम्र

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है

koi hindu koi muslim

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है सब ने इंसान न बनने की क़सम खाई है, इतनी ख़ूँ-ख़ार

मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं

Mutthi bhar logo ke

मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं जुदा जुदा हैं धर्म इलाक़े एक सी लेकिन

तन्हा तन्हा दुख झेलेंगे महफ़िल महफ़िल गाएँगे

Tanha tanha dukh jhelenge

तन्हा तन्हा दुख झेलेंगे महफ़िल महफ़िल गाएँगे जब तक आँसू पास रहेंगे तब तक गीत सुनाएँगे, तुम जो

हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो

har ek ghar me diya bhi jale

हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो अगर न हो कहीं ऐसा तो एहतिजाज भी

नई नई आँखें हों तो हर मंज़र अच्छा लगता है

nayi nayi aankhen ho to har manzar

नई नई आँखें हों तो हर मंज़र अच्छा लगता है कुछ दिन शहर में घूमे लेकिन अब घर

आज ज़रा फ़ुर्सत पाई थी…

aaj zara fursat paai thi

आज ज़रा फ़ुर्सत पाई थी आज उसे फिर याद किया बंद गली के आख़िरी घर को खोल के

मुँह की बात सुने हर कोई…

munh ki baat sune har koi

मुँह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन आवाज़ों के बाज़ारों में ख़ामोशी पहचाने

हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी

har taraf har jagah beshum

हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी, सुब्ह से शाम तक बोझ ढोता