नई नई आँखें हों तो हर मंज़र अच्छा लगता है

nayi nayi aankhen ho to har manzar

नई नई आँखें हों तो हर मंज़र अच्छा लगता है कुछ दिन शहर में घूमे लेकिन अब घर

आज ज़रा फ़ुर्सत पाई थी…

aaj zara fursat paai thi

आज ज़रा फ़ुर्सत पाई थी आज उसे फिर याद किया बंद गली के आख़िरी घर को खोल के

मुँह की बात सुने हर कोई…

munh ki baat sune har koi

मुँह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन आवाज़ों के बाज़ारों में ख़ामोशी पहचाने

हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी

har taraf har jagah beshum

हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी, सुब्ह से शाम तक बोझ ढोता

आज ज़रा फुर्सत पाई थी आज उसे फिर याद किया

aaj zara fursat paai thi

आज ज़रा फुर्सत पाई थी आज उसे फिर याद किया बंद गली के आख़िरी घर को आज फिर

एक ही धरती हम सब का घर जितना…

ek hi dharti ham sab ka ghar

एक ही धरती हम सब का घर जितना तेरा उतना मेरा दुख सुख का ये जंतर मंतर जितना

दो चार गाम राह को हमवार देखना

do chhar gaam raah ko hamwar dekhna

दो चार गाम राह को हमवार देखना फिर हर क़दम पे एक नई दीवार देखना, आँखों की रौशनी

इंसान में हैवान यहाँ भी है वहाँ भी

insan-me-haiwan-yahan

इंसान में हैवान यहाँ भी है वहाँ भी अल्लाह निगहबान यहाँ भी है वहाँ भी, ख़ूँख़्वार दरिंदों के

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है

duniya-jise-kahte-hai

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है,

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता…

kabhi kisi ko muqammal jahan nahi milta

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता, तमाम शहर में ऐसा नहीं