मुहब्बत कहाँ अब घरों में मिले

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मुहब्बत कहाँ अब घरों में मिले यहाँ फूल भी पत्थरो में मिले, जो फिरते रहे दनदनाते हुए वही

सुनो ! दौर ए बेहिस में जब कमाली हार जाता है…

सुनो दौर ए बेहिस

सुनो ! दौर ए बेहिस में जब कमाली हार जाता है हरामी जीत जाते है हलाली हार जाता

है बहुत अँधेरा अब सूरज निकलना चाहिए…

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है बहुत अँधेरा अब सूरज निकलना चाहिए जैसे भी हो अब ये मौसम बदलना चाहिए, रोज़ जो चेहरे

आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं

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आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं सामान सौ बरस के हैं कल की ख़बर नहीं, आ जाएँ

मैंने पल भर में यहाँ लोगो को बदलते हुए देखा है

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मैंने पल भर में यहाँ लोगो को बदलते हुए देखा है ज़िन्दगी से हारे हुए लोगो को जीतते

जिधर देखते है हर तरफ गमो के अम्बार देखते है…

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जिधर देखते है हर तरफ गमो के अम्बार देखते है हर किसी को रंज़ ओ अलम में गिरफ्तार

आगाज़ ईद है, अंज़ाम ईद है, नेक काम ईद है…

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ईद मुबारक़ आगाज़ ईद है, अंज़ाम ईद है, नेक काम ईद है सच्चाई ओ हक़ पे रहे क़ायम

मतलब परस्तो को क्या पता कि दोस्ती क्या है

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मतलब परस्तो को क्या पता कि दोस्ती क्या हैगुज़र गई है जो मुश्किलो में वो ज़िन्दगी क्या है,

कोई तो फूल खिलाए दुआ के लहज़े में…

कोई तो फूल खिलाए

कोई तो फूल खिलाए दुआ के लहज़े मेंअज़ब तरह की घुटन है हवा के लहज़े में, ये वक़्त

ख़बर क्या थी कि ऐसे अज़ाब उतरेंगे…

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ख़बर क्या थी कि ऐसे अज़ाब उतरेंगेजो होंगे बाँझ वो आँखों में ख़्वाब उतरेंगे, सजेंगे ज़िस्म पे कुछ