गुलामी में काम आती शमशीरें न तदबीरें
गुलामी में काम आती शमशीरें न तदबीरें जो हो ज़ौक ए यकीं पैदा तो कट जाती हैं जंज़ीरें,
Life Status
गुलामी में काम आती शमशीरें न तदबीरें जो हो ज़ौक ए यकीं पैदा तो कट जाती हैं जंज़ीरें,
लोग क्या ख़ूब वफ़ाओ का सिला देते है ज़िन्दगी के हर मोड़ पे ज़ख्म नया देते है, कैसे
दिल के हर दर्द ने अशआर में ढलना चाहा अपना पैराहन ए बे रंग बदलना चाहा, कोई अनजानी
कोई सनम तो हो कोई अपना ख़ुदा तो हो इस दश्त ए बेकसी में कोई आसरा तो हो,
अक्स हर रोज़ किसी ग़म का पड़ा करता है दिल वो आईना कि चुप चाप तका करता है,
घटती बढ़ती रौशनियों ने मुझे समझा नहीं मैं किसी पत्थर किसी दीवार का साया नहीं, जाने किन रिश्तों
बहुत था ख़ौफ़ जिस का फिर वही क़िस्सा निकल आया मेरे दुख से किसी आवाज़ का रिश्ता निकल
चुपचाप सुलगता है दिया तुम भी तो देखो किस दर्द को कहते हैं वफ़ा तुम भी तो देखो,
अब तो कोई भी किसी की बात नहीं समझता अब कोई भी किसी के जज़्बात नहीं समझता, अपने
हम तुम्हारे ग़म से बाहर आ गए हिज्र से बचने के मंतर आ गए, मैं ने तुम को