गुलामी में काम आती शमशीरें न तदबीरें

gulami me kaam aati shamshiren

गुलामी में काम आती शमशीरें न तदबीरें जो हो ज़ौक ए यकीं पैदा तो कट जाती हैं जंज़ीरें,

लोग क्या ख़ूब वफ़ाओ का सिला देते है

log kya khoob wafaaon ka sila dete hain

लोग क्या ख़ूब वफ़ाओ का सिला देते है ज़िन्दगी के हर मोड़ पे ज़ख्म नया देते है, कैसे

दिल के हर दर्द ने अशआर में ढलना चाहा

dil ke har dard ne ashaar me dhalna chaha

दिल के हर दर्द ने अशआर में ढलना चाहा अपना पैराहन ए बे रंग बदलना चाहा, कोई अनजानी

कोई सनम तो हो कोई अपना ख़ुदा तो हो

koi sanam to ho koi apna khuda to ho

कोई सनम तो हो कोई अपना ख़ुदा तो हो इस दश्त ए बेकसी में कोई आसरा तो हो,

अक्स हर रोज़ किसी ग़म का पड़ा करता है

aks har roz kisi gam ka pada karta hai

अक्स हर रोज़ किसी ग़म का पड़ा करता है दिल वो आईना कि चुप चाप तका करता है,

घटती बढ़ती रौशनियों ने मुझे समझा नहीं

ghatti badhti raushniyo ne mujhe

घटती बढ़ती रौशनियों ने मुझे समझा नहीं मैं किसी पत्थर किसी दीवार का साया नहीं, जाने किन रिश्तों

बहुत था ख़ौफ़ जिस का फिर वही क़िस्सा निकल आया

bahut khauf tha jis ka fir wahi

बहुत था ख़ौफ़ जिस का फिर वही क़िस्सा निकल आया मेरे दुख से किसी आवाज़ का रिश्ता निकल

चुपचाप सुलगता है दिया तुम भी तो देखो

chupchap sulgata hai diya tum bhi

चुपचाप सुलगता है दिया तुम भी तो देखो किस दर्द को कहते हैं वफ़ा तुम भी तो देखो,

अब तो कोई भी किसी की बात नहीं समझता

ab to koi bhi kisi ki baat nahin

अब तो कोई भी किसी की बात नहीं समझता अब कोई भी किसी के जज़्बात नहीं समझता, अपने

हम तुम्हारे ग़म से बाहर आ गए

hum tumhare gam se bahar

हम तुम्हारे ग़म से बाहर आ गए हिज्र से बचने के मंतर आ गए, मैं ने तुम को