तू समझता है कि रिश्तों की दुहाई देंगे…

tu samjhta hai ki ham rishto ki duhaai denge

तू समझता है कि रिश्तों की दुहाई देंगे हम तो वो हैं तेरे चेहरे से दिखाई देंगे, हम

जो पत्थरो में जुबां ढूँढे हम वो चीज है दोस्त…

jo pattharo me zuban dhoondhe ham wo chij hai dost

जो पत्थरो में जुबां ढूँढे हम वो चीज है दोस्त है मर्ज़ ख़्वाब सजाना तो हम मरीज़ है

तेरे में अब तो रही बात वो नहीं है दोस्त…

tere me to rahi ab wo baat nahi

तेरे में अब तो रही बात वो नहीं है दोस्त हुई ये अपनी मुलाक़ात वो नहीं है दोस्त,

किसी की आह सुनते ही जो फ़ौरन काँप जाते है…

kisi ki aah sunte hi jo fauran

किसी की आह सुनते ही जो फ़ौरन काँप जाते है वही इंसानियत के दर्द में आँसू बहाते है,

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं…

apni marji se kahan apne safar ke

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम

अदा है ख़्वाब है तस्कीन है तमाशा है

ada-hai-khwab-hai

अदा है ख़्वाब है तस्कीन है तमाशा है हमारी आँख में एक शख़्स बेतहाशा है, ज़रा सी चाय

वही बहाना बना है उदास होने का…

bahut guman tha mausam shanas hone ka

बहुत गुमान था मौसम शनास होने का वही बहाना बना है उदास होने का, बदन को काढ़ लिया

मेरे नग़्मात को अंदाज़ ए नवा याद नहीं…

hai dua yaad magar hraf e dua

है दुआ याद मगर हर्फ़ ए दुआ याद नहीं मेरे नग़्मात को अंदाज़ ए नवा याद नहीं, मैं

चराग़ ए तूर जलाओ बड़ा अँधेरा है…

wo mere haal pe roya bhi muskuraya bhi

चराग़ ए तूर जलाओ बड़ा अँधेरा है ज़रा नक़ाब उठाओ बड़ा अँधेरा है, अभी तो सुब्ह के माथे

भूली हुई सदा हूँ मुझे याद कीजिए…

bhuli hui sada hoo mujhe

भूली हुई सदा हूँ मुझे याद कीजिए तुम से कहीं मिला हूँ मुझे याद कीजिए, मंज़िल नहीं हूँ