उनसे मिलिए जो यहाँ फेर बदल वाले हैं…

unse miliye jo fer badal wale hai

उनसे मिलिए जो यहाँ फेर बदल वाले हैं हमसे मत बोलिए हम लोग ग़ज़ल वाले हैं, कैसे शफ़्फ़ाफ़

चराग़ अपनी थकन की कोई सफ़ाई न दे…

charag apni thakan ki koi safai n de

चराग़ अपनी थकन की कोई सफ़ाई न दे वो तीरगी है कि अब ख़्वाब तक दिखाई न दे,

जिस्म का बोझ उठाए हुए चलते रहिए…

zindagi ka bojh uthaye hue chalte rahiye

जिस्म का बोझ उठाए हुए चलते रहिए धूप में बर्फ़ की मानिंद पिघलते रहिए, ये तबस्सुम तो है

दुनियाँ कहीं जो बनती है मिटती ज़रूर है…

duniyan kahin jo banti hai mitati zarur hai

दुनियाँ कहीं जो बनती है मिटती ज़रूर है परदे के पीछे कोई न कोई ज़रूर है, जाते है

दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह…

kis simt chal padi hai khudai mere khuda

दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह फिर चाहे दीवाना कर दे या अल्लाह, मैनें तुझसे चाँद

बिखरे बिखरे सहमे सहमे रोज़ ओ शब देखेगा कौन…

bikhre bikhre sahme sahme roz o shab

बिखरे बिखरे सहमे सहमे रोज़ ओ शब देखेगा कौन लोग तेरे जुर्म देखेंगे सबब देखेगा कौन ? हाथ

ज़रीदे में छपी है एक ग़ज़ल दीवान जैसा है…

zaride me chhapi ek gazal deewan jaisa hai

ज़रीदे में छपी है एक ग़ज़ल दीवान जैसा है ग़ज़ल का फ़न अभी भी रेत के मैदान जैसा

ज़िन्दगी बस एक ये लम्हा मुझे भी भा गया…

zindagi bas ek ye lamha mujhe bhaa gaya

ज़िन्दगी बस एक ये लम्हा मुझे भी भा गया आज बेटे के बदन पर कोट मेरा आ गया,

समझता खूब है वो भी बयान की कीमत…

samjhta hai wo bhi khoob bayan ki qeemat

समझता खूब है वो भी बयान की कीमत चुका रहा है जो अब भी ज़ुबान की कीमत, इसी

काँटे ही चुभन दे ज़रूरी तो नहीं…

kaante hi chubhan de zaruri to nahi hai

काँटे ही चुभन दे ज़रूरी तो नहीं फूल भी नश्तर चभोते है, बारिश ही भिगोए तन मन ज़रूरी