बे सोज़ ए निहाँ महव ए फ़ुग़ाँ हो नहीं सकता

be soz e nihaan

बे सोज़ ए निहाँ महव ए फ़ुग़ाँ हो नहीं सकता जब तक न लगे आग धुआँ हो नहीं

ग़ैरों के जब भी लुत्फ़ ओ करम याद आ गए

gairo ke jab bhi

ग़ैरों के जब भी लुत्फ़ ओ करम याद आ गए अपनों ने जो किए थे सितम याद आ

ऐसा तूफ़ाँ है कि साहिल का नज़ारा भी नहीं

aisa toofaan hai ki

ऐसा तूफ़ाँ है कि साहिल का नज़ारा भी नहीं डूबने वाले को तिनके का सहारा भी नहीं, की

दोस्तों के सितम की बात करो

doston ke sitam ki

दोस्तों के सितम की बात करो बात ग़म की है ग़म की बात करो सच्ची बातों के हो

वक़्त जब साज़गार होता है

waqt jab saazgaar hota

वक़्त जब साज़गार होता है सच है दुश्मन भी यार होता है, बाँट ले ग़म जो ग़म के

आएगा कोई चल के ख़िज़ाँ से बहार में

aayega koi chal ke

आएगा कोई चल के ख़िज़ाँ से बहार में सदियाँ गुज़र गई हैं इसी इंतिज़ार में, छिड़ते ही साज़

यूँ लग रहा है जैसे कोई आस पास है

yun lag raha hai

यूँ लग रहा है जैसे कोई आस पास है वो कौन है जो है भी नहीं और उदास

सफ़र को जब भी किसी दास्तान में रखना

safar ko jab bhi

सफ़र को जब भी किसी दास्तान में रखना क़दम यक़ीन में मंज़िल गुमान में रखना, जो साथ है

मैं अपने इख़्तियार में हूँ भी नहीं भी हूँ

main apne ikhtiyar me

मैं अपने इख़्तियार में हूँ भी नहीं भी हूँ दुनिया के कारोबार में हूँ भी नहीं भी हूँ,

उसके दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा

uske dushman hai bahut

उसके दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा वो भी मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा, इतना सच