कभी लोग बदले कभी ठिकाना बदला…

saaqi na mil saka fir bhi use

कभी लोग बदले कभी ठिकाना बदला कभी सनम कभी सनम खाना बदला, साक़ी न मिल सका फिर भी

बदन पे जिसके शराफ़त का पैरहन देखा…

badan pe jiske sharafat ka pairahan dekha

बदन पे जिसके शराफ़त का पैरहन देखा वो आदमी भी यहाँ हमने बदचलन देखा, ख़रीदने को जिसे कम

झूठ का बोलना आसान नहीं होता है…

ye dil tere baad pareshan nahi hota

झूठ का बोलना आसान नहीं होता है ये दिल तेरे बाद परेशान नहीं होता है, सब तेरे बा’द

क़िताब ए ज़ीस्त में ज़हमत के बाब इतने है…

zara si umr mili hai azab itne hai

क़िताब ए ज़ीस्त में ज़हमत के बाब इतने है ज़रा सी उम्र मिली है अज़ाब इतने है, ज़फ़ा,

टूट कर बिखरे हुए इन्सान कहाँ जाएँगे ?

tut kar bikhre hue insan kahan jayenge

टूट कर बिखरे हुए इन्सान कहाँ जाएँगे ? दूर तक सन्नाटा है नादान कहाँ जाएँगे ? रिश्ते जो

किसे ख़बर थी हवा राह साफ़ करते हुए…

kise khabar thi hawa raah saaf karte hue

किसे ख़बर थी हवा राह साफ़ करते हुए मेरा तवाफ़ करेगी तवाफ़ करते हुए, मैं ऐसा हँस रहा

रेत भरी है इन आँखों में आँसू से तुम धो लेना…

ret bhari hai in aankho me aansoo se tum dho lena

रेत भरी है इन आँखों में आँसू से तुम धो लेना कोई सूखा पेड़ मिले तो उस से

फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे…

fool barse kahin shabnam kahin gauhar barse

फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे और इस दिल की तरफ़ बरसे तो पत्थर बरसे, कोई बादल

मुसाफ़िर के रस्ते बदलते रहे…

musafir ke raste badalte rahe muqaddar me chalna tha chalte rahe

मुसाफ़िर के रस्ते बदलते रहे मुक़द्दर में चलना था चलते रहे, कोई फूल सा हाथ काँधे पे था

एक भटके हुए लश्कर के सिवा कुछ भी नहीं…

ek bhatke hue lashkar ke siwa kuch bhi nahi

एक भटके हुए लश्कर के सिवा कुछ भी नहीं ज़िन्दगानी मेरी ठोकर के सिवा कुछ भी नहीं, आप