बिखरे बिखरे सहमे सहमे रोज़ ओ शब देखेगा कौन…

bikhre bikhre sahme sahme roz o shab

बिखरे बिखरे सहमे सहमे रोज़ ओ शब देखेगा कौन लोग तेरे जुर्म देखेंगे सबब देखेगा कौन ? हाथ

ये विसाल ओ हिज़्र का मसअला तो…

ye visal o hizr ka mas'ala to meri samjh me naa

ये विसाल ओ हिज़्र का मसअला तो मेरी समझ में न आ सका कभी कोई मुझको न पा

थकी हुई मामता की क़ीमत लगा रहे हैं…

thaki hui mamta ki qeemat laga rahe hai

थकी हुई मामता की क़ीमत लगा रहे हैं अमीर बेटे दुआ की क़ीमत लगा रहे हैं, मैं जिन

तुम पूछो और मैं न बताऊँ ऐसे तो हालात नहीं…

tum pucho aur main naa bataaooun

तुम पूछो और मैं न बताऊँ ऐसे तो हालात नहीं एक ज़रा सा दिल टूटा है और तो

ज़रीदे में छपी है एक ग़ज़ल दीवान जैसा है…

zaride me chhapi ek gazal deewan jaisa hai

ज़रीदे में छपी है एक ग़ज़ल दीवान जैसा है ग़ज़ल का फ़न अभी भी रेत के मैदान जैसा

ज़िन्दगी बस एक ये लम्हा मुझे भी भा गया…

zindagi bas ek ye lamha mujhe bhaa gaya

ज़िन्दगी बस एक ये लम्हा मुझे भी भा गया आज बेटे के बदन पर कोट मेरा आ गया,

समझता खूब है वो भी बयान की कीमत…

samjhta hai wo bhi khoob bayan ki qeemat

समझता खूब है वो भी बयान की कीमत चुका रहा है जो अब भी ज़ुबान की कीमत, इसी

ज़िन्दगी दी है तो जीने का हुनर भी देना…

zindagi dee hai to jine ka hunar bhi dena

ज़िन्दगी दी है तो जीने का हुनर भी देना पाँव बख्शे है तो तौफ़ीक ए सफ़र भी देना,

काँटे ही चुभन दे ज़रूरी तो नहीं…

kaante hi chubhan de zaruri to nahi hai

काँटे ही चुभन दे ज़रूरी तो नहीं फूल भी नश्तर चभोते है, बारिश ही भिगोए तन मन ज़रूरी

ना जाने कैसी तक़दीर पाई है…

naa jaane kaisi taqdeer paai hai

ना जाने कैसी तक़दीर पाई है जो आया आज़मा के चला गया, कल तक गले लगाने वाला भी