न है बुतकदा की तलब मुझे न हरम के दर की तलाश है

na hai butqada ki talab mujhe

न है बुतकदा की तलब मुझे न हरम के दर की तलाश है जहाँ लुट गया है सुकून

अब तो कोई भी किसी की बात नहीं समझता

ab to koi bhi kisi ki baat nahin

अब तो कोई भी किसी की बात नहीं समझता अब कोई भी किसी के जज़्बात नहीं समझता, अपने

हर एक ने कहा क्यूँ तुझे आराम न आया

har ek ne kaha kyun tujhe

हर एक ने कहा क्यूँ तुझे आराम न आया सुनते रहे हम लब पे तेरा नाम न आया,

ज़बान ए ग़ैर से क्या शरह ए आरज़ू करते

zabaan e gair se kya sharah

ज़बान ए ग़ैर से क्या शरह ए आरज़ू करते वो ख़ुद अगर कहीं मिलता तो गुफ़्तुगू करते, वो

ग़म ए दौराँ ने भी सीखे ग़म ए जानाँ के चलन

gam e dauraan ne bhi sikhe

ग़म ए दौराँ ने भी सीखे ग़म ए जानाँ के चलन वही सोची हुई चालें वही बे साख़्तापन,

फ़नकार ख़ुद न थी मेरे फ़न की शरीक थी

fanqaar khud na thi mere fan ki

फ़नकार ख़ुद न थी मेरे फ़न की शरीक थी वो रूह के सफ़र में बदन की शरीक थी,

तेरी तलाश में हर रहनुमा से बातें कीं

teri talash me har rahnuma se

तेरी तलाश में हर रहनुमा से बातें कीं ख़ला से रब्त बढ़ाया हवा से बातें कीं, कभी सितारों

अब जी हुदूद ए सूद ओ ज़ियाँ से गुज़र गया

ab jee hudud e sood o ziyan

अब जी हुदूद ए सूद ओ ज़ियाँ से गुज़र गया अच्छा वही रहा जो जवानी में मर गया,

वो अहद अहद ही क्या है जिसे निभाओ भी

wo ahad ahad hi kya hai

वो अहद अहद ही क्या है जिसे निभाओ भी हमारे वादा ए उलफ़त को भूल जाओ भी भला

हम तुम्हारे ग़म से बाहर आ गए

hum tumhare gam se bahar

हम तुम्हारे ग़म से बाहर आ गए हिज्र से बचने के मंतर आ गए, मैं ने तुम को