अश्क ओ खूं घुलते है तब दीदा ए तर बनती है…

ashk o khoo ghulte hai tab deeda e tar banti hai

अश्क ओ खूं घुलते है तब दीदा ए तर बनती है दास्ताँ इश्क़ में मरने से अमर बनती

सभी कहें मेरे गम ख़्वार के अलावा भी…

koi to baat karo yaar ke alawa bhi

सभी कहें मेरे गम ख़्वार के अलावा भी कोई तो बात करो यार के अलावा भी, बहुत से

हर मुलाक़ात में लगते हैं वो बेगाने से…

har mulaqat me lagte hai wo begane se

हर मुलाक़ात में लगते हैं वो बेगाने से फ़ाएदा क्या है भला ऐसों के याराने से, कुछ जो

मुहब्बत करने वालों में ये झगड़ा डाल देती है…

muhabbat karne walo me jhagda daal deti hai

मुहब्बत करने वालों में ये झगड़ा डाल देती है सियासत दोस्ती की जड़ में मट्ठा डाल देती है,

उनसे मिलिए जो यहाँ फेर बदल वाले हैं…

unse miliye jo fer badal wale hai

उनसे मिलिए जो यहाँ फेर बदल वाले हैं हमसे मत बोलिए हम लोग ग़ज़ल वाले हैं, कैसे शफ़्फ़ाफ़

चराग़ अपनी थकन की कोई सफ़ाई न दे…

charag apni thakan ki koi safai n de

चराग़ अपनी थकन की कोई सफ़ाई न दे वो तीरगी है कि अब ख़्वाब तक दिखाई न दे,

एक टूटी हुई ज़ंजीर की फ़रियाद हैं हम…

ek tuti hui zanjir ki fariyad hai ham

एक टूटी हुई ज़ंजीर की फ़रियाद हैं हम और दुनिया ये समझती है कि आज़ाद हैं हम, क्यूँ

जिस्म का बोझ उठाए हुए चलते रहिए…

zindagi ka bojh uthaye hue chalte rahiye

जिस्म का बोझ उठाए हुए चलते रहिए धूप में बर्फ़ की मानिंद पिघलते रहिए, ये तबस्सुम तो है

दुनियाँ कहीं जो बनती है मिटती ज़रूर है…

duniyan kahin jo banti hai mitati zarur hai

दुनियाँ कहीं जो बनती है मिटती ज़रूर है परदे के पीछे कोई न कोई ज़रूर है, जाते है

दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह…

kis simt chal padi hai khudai mere khuda

दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह फिर चाहे दीवाना कर दे या अल्लाह, मैनें तुझसे चाँद