ऐ सनम वस्ल की तदबीरों से क्या होता है…

sukhanwari ka bahana banata rahta hoon

ऐ सनम वस्ल की तदबीरों से क्या होता है वही होता है जो मंज़ूर ए ख़ुदा होता है,

घर जब बना लिया तेरे दर पर कहे बग़ैर

ghar-jab-bana-liya

घर जब बना लिया तेरे दर पर कहे बग़ैर जानेगा अब भी तू न मेरा घर कहे बग़ैर,

अब तो बस ये जान है मौला बाक़ी झूठी शान है मौला…

ab to bas ye jaan hai maula

अब तो बस ये जान है मौला बाक़ी झूठी शान है मौला, गम का कोई निशाँ नहीं है

क्या आँधियाँ बड़ी आने वाली है….

kya aandhiya badi aane wali hai

क्या आँधियाँ बड़ी आने वाली है क्या कुछ बुरा होने वाला है ? इन्सान पहले से कुछ नहीं

क्या बताते हैं इशारात तुम्हें क्या मा’लूम…

kya batate hai isharaat tumhe kya malum

क्या बताते हैं इशारात तुम्हें क्या मा’लूम कितने मश्कूक हैं हालात तुम्हें क्या मा’लूम ? ये उलझते हुए

ज़िन्दगी से एक दिन मौसम खफ़ा हो जाएँगे…

zindagi se ek din mausam khafa ho jayenge

ज़िन्दगी से एक दिन मौसम खफ़ा हो जाएँगे रंग ए गुल और बू ए गुल दोनों हवा हो

कभी बहार का मौसम नया दिखाई दे…

kabhi bahar ka mausam naya dikhai de

कभी बहार का मौसम नया दिखाई दे गुलाब बातें करें और सबा दिखाई दे, शब ए जुनूँ है

ज़िंदगी दर्द की कहानी है चश्म ए अंजुम में भी तो पानी है…

zindagi dard ki kahani hai

ज़िंदगी दर्द की कहानी है चश्म ए अंजुम में भी तो पानी है, बेनियाज़ाना सुन लिया ग़म ए

अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं…

abhi kuch aur karishme gazal ke dekhte hai

अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं ‘फ़राज़’ अब ज़रा लहजा बदल के देखते हैं, जुदाइयाँ तो

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता…

kabhi kisi ko muqammal jahan nahi milta

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता, तमाम शहर में ऐसा नहीं