चेहरे की हसी भी दिखावट सी हो रही है…
चेहरे की हसी भी दिखावट सी हो रही है असल ज़िन्दगी भी बनावट सी हो रही है, अनबन
Life Poetry
चेहरे की हसी भी दिखावट सी हो रही है असल ज़िन्दगी भी बनावट सी हो रही है, अनबन
सच ये है कि बेकार का ही हमें गम होता है जैसा हम चाहे दुनियाँ में वो बहुत
अमूमन मेरी हसरत को चाहत का नाम दे गये लोग जीश्त को इन्तेहा ए आशिकी का पैग़ाम दे
ख़्वाबो को मेरे प्यार की ताबीर बख्श दे दिल को मेरे इश्क़ की ज़ागीर बख्श दे, कब से
उलझे काँटों से कि खेले गुल ए तर से पहले फ़िक्र ये है कि सबा आए किधर से
वही हुस्न ए यार में है वही लाला ज़ार में है वो जो कैफ़ियत नशे की मय ए
वही है वहशत वही है नफ़रत आख़िर इस का क्या है सबब ? इंसाँ इंसाँ बहुत रटा है
वही दर्द है वही बेबसी तेरे गाँव में मेरे शहर में बे गमो की भीड़ में आदमी तेरे
ख़ुशी जानते हैं न ग़म जानते हैं जो उनकी रज़ा हो वो हम जानते हैं, जो कुछ चार
ग़म के हर एक रंग से मुझको शनासा कर गया वो मेरा मोहसिन मुझे पत्थर से हीरा कर