क्यूँ न फिर से दौर ए क़दीम में जाया जाए ?

kyun na fir se daur e qadeem men jaya jaaye

क्यूँ न फिर से दौर ए क़दीम में जाया जाए ? माँग कर आग घर का चूल्हा जलाया

बहुत ख़राब रहा इस दौर मे

bahut kharab raha is daur men

बहुत ख़राब रहा इस दौर मे एक क़ौम का अच्छा होना, रास ना आया मनहूसों को क़ौम का

किसी झूठीं वफ़ा से दिल को बहलाना नहीं आता

kisi jhuthin wafa se dil ko

किसी झूठीं वफ़ा से दिल को बहलाना नहीं आता मुझे घर काग़ज़ी फूलों से महकाना नहीं आता, मैं

मौसम बदल गए ज़माने बदल गए

mausam badal gaye zamane

मौसम बदल गए ज़माने बदल गए लम्हों में दोस्त बरसों पुराने बदल गए, दिन भर रहे जो मेरी

दिल की इस दौर में क़ीमत नहीं होती शायद

dil ki is daur men

दिल की इस दौर में क़ीमत नहीं होती शायद सब की क़िस्मत में मुहब्बत नहीं होती शायद, फ़ैसला

सफ़र ए वफ़ा की राह में मंज़िल जफा की थी

safar e wafa ki raah men

सफ़र ए वफ़ा की राह में मंज़िल जफा की थी कागज़ का घर बना के भी ख्वाहिश हवा

भूख़ चेहरों पे लिए चाँद से प्यारे बच्चे

bhookh chehre pe liye chaand se

भूख़ चेहरों पे लिए चाँद से प्यारे बच्चे बेचते फिरते हैं गलियों में ग़ुबारे बच्चे, इन हवाओं से

बैठे हैं चैन से कहीं जाना तो है नहीं

baithen hai chain se

बैठे हैं चैन से कहीं जाना तो है नहीं हम बे घरों का कोई ठिकाना तो है नहीं,

कश्ती हवस हवाओं के रुख़ पर उतार दे

kashti hawas hawaaon ke rukh

कश्ती हवस हवाओं के रुख़ पर उतार दे खोए हुओं से मिल ये दलद्दर उतार दे, बे सम्त

पहले जो ख़ुद माँ के आंचल में छुप…

pahle jo khud maan ke aanchal men

पहले जो ख़ुद माँ के आंचल में छुप जाया करती थी आज वो ख़ुद किसी को आंचल में