जिन्हें कर सका न क़ुबूल मैं…

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जिन्हें कर सका न क़ुबूल मैंवो शरीक़ राह ए सफ़र हुए, जो मेरी तलब मेरी आस थेवही लोग

कभी ऐसा भी होता है ?

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कभी ऐसा भी होता है ?कि जिसको हमसफ़र जानेकि जो शरीक़ ए दर्द होवही हमसे बिछड़ जाए, कभी

उस को जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआ

usko-juda-hue-zamana

उस को जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआअब क्या कहें ये क़िस्सा पुराना बहुत हुआ, ढलती न थी

धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो…

धूप में निकलो घटाओं

धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखोज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो, सिर्फ़ आँखों से

ख़िरद मंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है

khirad mando se kya

ख़िरद मंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या हैकि मैं इस फ़िक्र में रहता हूँ मेरी इंतिहा

सितारों से आगे जहाँ और भी हैं

sitaro-se-aage-jahan

सितारों से आगे जहाँ और भी हैंअभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं, तही ज़िंदगी से नहीं ये

लिखना नहीं आता तो मेरी जान पढ़ा कर…

likhna-nahi-aata-to

लिखना नहीं आता तो मेरी जान पढ़ा करहो जाएगी तेरी मुश्किल आसान पढ़ा कर, पढ़ने के लिए अगर

ताअज्ज़ुब है अँधे आईना दिखा रहे है…

mujh me hai khamiyan

मुझ में है खामियाँ मुज़रिम बता रहे हैताअज्ज़ुब है अँधे आईना दिखा रहे है, ज़ुल्म तो ये है

मंज़िल पे न पहुँचे उसे रस्ता नहीं कहते

manzil pe naa pahunche

मंज़िल पे न पहुँचे उसे रस्ता नहीं कहतेदो चार क़दम चलने को चलना नहीं कहते इक हम हैं

मुझे गुमनाम रहने का

mujhe gumnam rahne ka

मुझे गुमनाम रहने काकुछ ऐसा शौक है हमदमकिसी बेनाम सहरा मेंभटकती रूह हो जैसे, जहाँ साये तरसते होकिसी