अब कहाँ दोस्त मिलें साथ निभाने वाले

ab kahan dost mile saath nibhane wale

अब कहाँ दोस्त मिलें साथ निभाने वाले सब ने सीखे हैं अब आदाब ज़माने वाले, दिल जलाओ या

ये मोहब्बत का फ़साना भी बदल जाएगा

ye mohabbat ka fasana bhi badal jayega

ये मोहब्बत का फ़साना भी बदल जाएगा वक़्त के साथ ज़माना भी बदल जाएगा, आज कल में कोई

बज़्म ए तकल्लुफ़ात सजाने में रह गया

bazm e takallufaat sajaane me rah gaya

बज़्म ए तकल्लुफ़ात सजाने में रह गया मैं ज़िंदगी के नाज़ उठाने में रह गया, तासीर के लिए

पा ब गिल सब हैं रिहाई की करे तदबीर कौन

paa ba gil sab hai rihaaee kee kare tadbeer kaun

पा ब गिल सब हैं रिहाई की करे तदबीर कौन दस्त बस्ता शहर में खोले मेरी ज़ंजीर कौन

मेरी सारी ज़िंदगी को बे समर उस ने किया

meri-saari-zindagi-ko-be-samar-us-ne-kiya

मेरी सारी ज़िंदगी को बे समर उस ने किया उम्र मेरी थी मगर उस को बसर उस ने

जब ख़िलाफ़ ए मस्लहत जीने की नौबत आई थी

jab khilaf e maslahat jeene kee naubat aayi thee

जब ख़िलाफ़ ए मस्लहत जीने की नौबत आई थी डूब मरते डूब मरने में अगर दानाई थी, मैं

सदा रहेगी यही रवानी रवाँ है पानी

sada rahegi yahi rawani ravan hai paani

सदा रहेगी यही रवानी रवाँ है पानी बहाओ इस का है जावेदानी रवाँ है पानी, बहाव में बह

मय ए फ़राग़त का आख़िरी दौर चल रहा था

may e faragat ka aakhiri daur chal raha tha

मय ए फ़राग़त का आख़िरी दौर चल रहा था सुबू किनारे विसाल का चाँद ढल रहा था, वो

हर दम तरफ़ है वैसे मिज़ाज करख़्त का

har dam taraf hai waise mizaz karakht ka

हर दम तरफ़ है वैसे मिज़ाज करख़्त का टुकड़ा मेरा जिगर है कहो संग सख़्त का, सब्ज़ान इन

एक लफ़्ज़ ए मोहब्बत का अदना ये फ़साना है

ek lafz e mohabbat ka adna ye fasana hai

एक लफ़्ज़ ए मोहब्बत का अदना ये फ़साना है सिमटे तो दिल ए आशिक़ फैले तो ज़माना है,