गूँजता है नाला ए महताब आधी रात को

goonjta hai naalaa e maahtab

गूँजता है नाला ए महताब आधी रात को टूट जाते हैं सुहाने ख़्वाब आधी रात को, भागते सायों

पर्दा ए शब की ओट में ज़ोहरा जमाल खो गए

parda e shab ki ot me zohra zamal

पर्दा ए शब की ओट में ज़ोहरा जमाल खो गए दिल का कँवल बुझा तो शहर तीरा ओ

दिल के वीराने में एक फूल खिला रहता है

dil ke veerane me ek phool khila

दिल के वीराने में एक फूल खिला रहता है कोई मौसम हो मेरा ज़ख़्म हरा रहता है, शब

तेरी जानिब अगर चले होते

teri zanib agar chale hote

तेरी जानिब अगर चले होते हम न यूँ दर ब दर हुए होते, सारी दुनिया है मेरी मुट्ठी

क्या ? खज़ूर के पेड़ो में झुकाव आ गया

kya khazoor ke pedo me jhukaav aa gaya

क्या ? खज़ूर के पेड़ो में झुकाव आ गया ज़नाब ! लगता है शहर में चुनाव आ गया,

समंद ए शौक़ पे ख़त उस का ताज़ियाना हुआ

samand e shauq pe

समंद ए शौक़ पे ख़त उस का ताज़ियाना हुआ मिले हुए भी तो उस से हमें ज़माना हुआ,

हमारे हाल से कोई जो बा ख़बर रहता

humare haal se koi

हमारे हाल से कोई जो बा ख़बर रहता ख़याल उसका हमें भी तो उम्र भर रहता, जिसे भी

अलबेली कामनी कि नशीली घड़ी है शाम

albeli kaamni ki nashili

अलबेली कामनी कि नशीली घड़ी है शाम सर मस्तियों की सेज पे नंगी पड़ी है शाम, बेकल किए

तू इस क़दर मुझे अपने क़रीब लगता है

tu is qadar mujhe

तू इस क़दर मुझे अपने क़रीब लगता है तुझे अलग से जो सोचूँ अजीब लगता है, जिसे न

बिगड़ने वाला किसी दिन सँवर ही जाएगा

bigadne wala kisi din

बिगड़ने वाला किसी दिन सँवर ही जाएगा मिज़ाज ए दोस्त बिल आख़िर सुधर ही जाएगा, मरीज़ ए इश्क़