किसी रांझे से इतना दूर कहाँ कोई हीर रहती है

kisi raanjhe se itna door kahan koi heer rahti hai

किसी रांझे से इतना दूर कहाँ कोई हीर रहती है मैं अब लाहौर रहता हूँ, वो अब कश्मीर

नेकियों के ज़ुमरे में भी ये काम कर जाओ

nekiyo ke zumre me bhi ye kaam kar jaao

नेकियों के ज़ुमरे में भी ये काम कर जाओ मुस्कुरा के थोड़ा सा मेरे ज़ख़्म भर जाओ, कितने

उन लबों की याद आई गुल के मुस्कुराने से

un-labon-kee-yaad-aayi-gul-ke-muskuraane-se

उन लबों की याद आई गुल के मुस्कुराने से ज़ख़्म ए दिल उभर आए फिर बहार आने से,

दिल की बर्बादी में शामिल थी रज़ा आँखों की

dil kee barbadi me shamil thi raza ankhon kee

दिल की बर्बादी में शामिल थी रज़ा आँखों की इस की पादाश में काम आई ज़िया आँखों की,

बहार की धूप में नज़ारे हैं उस किनारे

bahaar kee dhoop me nazaare hai us kinare

बहार की धूप में नज़ारे हैं उस किनारे सफ़ेद पानी के सब्ज़ धारे हैं उस किनारे, वहाँ की

मुद्दत हुई अपनी आँखों को

muddat hui apni ankhon ko

मुद्दत हुई अपनी आँखों को क्यों अश्क फ़िशानी याद आई ? क्या दिल ने उन्हें फिर याद किया

जश्न ए ग़म हा ए दिल मनाता हूँ

jashn e gam haa dil manaata hoon

जश्न ए ग़म हा ए दिल मनाता हूँ चोट खाता हूँ मुस्कुराता हूँ, हादसों से गुज़रता जाता हूँ

हम बिछड़ के तुम से बादल की तरह रोते रहे

hum bichhad ke tum se baadal kee tarah rote rahe

हम बिछड़ के तुम से बादल की तरह रोते रहे थक गए तो ख़्वाब की दहलीज़ पर सोते

दिल के तातार में यादों के अब आहू भी नहीं

dil ke taataar me yaado ke ab aahoo bhi nahi

दिल के तातार में यादों के अब आहू भी नहीं आईना माँगे जो हम से वो परी रू

ज़माने में कहीं दिल को लगाना भी ज़रूरी था

zamane me kahin dil ko lagana bhi zaruri tha

ज़माने में कहीं दिल को लगाना भी ज़रूरी था ग़लत कुछ भी नहीं लेकिन छुपाना भी ज़रूरी था,