मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं
मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं जुदा जुदा हैं धर्म इलाक़े एक सी लेकिन
Gazals
मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं जुदा जुदा हैं धर्म इलाक़े एक सी लेकिन
तन्हा तन्हा दुख झेलेंगे महफ़िल महफ़िल गाएँगे जब तक आँसू पास रहेंगे तब तक गीत सुनाएँगे, तुम जो
अज़ीज़ो न पूछो कहाँ रह गया जहाँ जी लगा बस वहाँ रह गया, जो रहना था बर्क़ ए
मुकम्मल मोहब्बत का दस्तूर देखा यहीं सारी दुनिया को मजबूर देखा, हर एक सम्त मैंने नया तूर देखा
तेग़ ए जफ़ा को तेरी नहीं इम्तिहाँ से रब्त मेरी सुबुकसरी को है बार ए गराँ से रब्त,
ख़ामोश इस तरह से न जल कर धुआँ उठा ऐ शम्अ कुछ तो बोल कभी तो ज़बाँ उठा,
मुश्किल है पता चलना क़िस्सों से मोहब्बत का अंदाज़ा मुसीबत में होता है मुसीबत का, है नज़अ के
है आम अज़ल ही से फ़ैज़ान मोहब्बत का इम्कान मुसल्लम है इम्कान मोहब्बत का, तोड़ा नहीं जा सकता
कुछ देर काली रात के पहलू में लेट के लाया हूँ अपने हाथों में जुगनू समेट के, दो
कर्ब चेहरे से मह ओ साल का धोया जाए आज फ़ुर्सत से कहीं बैठ के रोया जाए, फिर