तुझे पुकारा है बे इरादा
तुझे पुकारा है बे इरादा जो दिल दुखा है बहुत ज़ियादा, नदीम हो तेरा हर्फ़ ए शीरीं तो …
Faiz Ahmad Faiz
तुझे पुकारा है बे इरादा जो दिल दुखा है बहुत ज़ियादा, नदीम हो तेरा हर्फ़ ए शीरीं तो …
फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे जाने किस किस को आज रो बैठे, थी मगर इतनी राएगाँ भी …
हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने धोके दिए क्या क्या हमें बाद ए सहरी ने, हर मंजिल …
हम पर तुम्हारी चाह का इल्ज़ाम ही तो है दुश्नाम तो नहीं है ये इकराम ही तो है, …
हम सादा ही ऐसे थे की यूँ ही पज़ीराई जिस बार ख़िज़ाँ आई समझे कि बहार आई, आशोब …
गो सब को बहम साग़र ओ बादा तो नहीं था ये शहर उदास इतना ज़ियादा तो नहीं था, …
सितम की रस्में बहुत थीं लेकिन न थी तिरी अंजुमन से पहले सज़ा ख़ता ए नज़र से पहले …
न किसी पे ज़ख़्म अयाँ कोई न किसी को फ़िक्र रफ़ू की है न करम है हम पे …
रंग पैराहन का ख़ुशबू ज़ुल्फ़ लहराने का नाम मौसम ए गुल है तुम्हारे बाम पर आने का नाम, …
फिर आईना ए आलम शायद कि निखर जाए फिर अपनी नज़र शायद ताहद्द ए नज़र जाए, सहरा पे …