रेत भरी है इन आँखों में आँसू से तुम धो लेना…
रेत भरी है इन आँखों में आँसू से तुम धो लेना कोई सूखा पेड़ मिले तो उस से …
रेत भरी है इन आँखों में आँसू से तुम धो लेना कोई सूखा पेड़ मिले तो उस से …
फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे और इस दिल की तरफ़ बरसे तो पत्थर बरसे, कोई बादल …
नज़र से गुफ़्तुगू ख़ामोश लब तुम्हारी तरह ग़ज़ल ने सीखे हैं अंदाज़ सब तुम्हारी तरह, जो प्यास तेज़ …
न जी भर के देखा न कुछ बात की बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की, उजालों की परियाँ नहाने …
मुसाफ़िर के रस्ते बदलते रहे मुक़द्दर में चलना था चलते रहे, कोई फूल सा हाथ काँधे पे था …
ये ज़र्द पत्तों की बारिश मेरा ज़वाल नहीं मेरे बदन पे किसी दूसरे की शाल नहीं, उदास हो …
वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है, उतर भी आओ …
वही ताज है वही तख़्त है वही ज़हर है वही जाम है ये वही ख़ुदा की ज़मीन है …