ऐ दिल मुझे ऐसी जगह ले चल जहाँ कोई न हो
ऐ दिल मुझे ऐसी जगह ले चल जहाँ कोई न हो अपना पराया मेहरबाँ ना मेहरबाँ कोई न
ऐ दिल मुझे ऐसी जगह ले चल जहाँ कोई न हो अपना पराया मेहरबाँ ना मेहरबाँ कोई न
तुझे क्या सुनाऊँ मैं दिलरुबा तेरे सामने मेंरा हाल है तेरी एक निगाह की बात है मेंरी ज़िंदगी
कौन देखेगा भला इस में है रुस्वाई क्या ख़्वाब में आने की भी तुम ने क़सम खाई क्या,
बदन को काटता है दुख, मलाल नोचते हैं ये दर्द भेड़िए हैं और खाल नोचते हैं, अज़ाब ए
कभी वो हाथ न आया हवाओं जैसा है वो एक शख़्स जो सचमुच ख़ुदाओं जैसा है, हमारी शम
ऐ दोस्त कहीं तुझ पे भी इल्ज़ाम न आए इस मेरी तबाही में तेरा नाम न आए, ये
इश्क़ कर के देख ली जो बेबसी देखी न थी इस क़दर उलझन में पहले ज़िंदगी देखी न
ज़िंदगी को न बना लें वो सज़ा मेरे बाद हौसला देना उन्हें मेरे ख़ुदा मेरे बाद, कौन घूँघट
जब से तू ने मुझे दीवाना बना रखा है संग हर शख़्स ने हाथों में उठा रखा है,
फूल जैसी है कभी ये ख़ार की मानिंद है ज़िंदगी सहरा कभी गुलज़ार की मानिंद है, तुम क़लम